क्या कहें,
हजार बातें हैं, कही नहीं जातीं,
बंदोबस्त पूरा है, खुलते हुये पत्तों की तरह,
ओढ़ लो चलो, बातों का कंबल,
खटर-पटर से दूर, ठहरे हुये रास्ते,
जा रही बातों की मंजिल,
टकटकी लगाये बैठा है कोई,
यूं ही नहीं बरसती हैं बातें।
अल्हड़, मस्ती में चूर, उम्मीदों से भरी हैं बातें,
खुली किताब के उड़ते हुये शब्द हैं बातें,
ये भी हैं बातें, वे भी हैं बातें,
क्या-क्या नहीं हैं बातें,
नई हैं बातें, पुरानी भी हैं,
इस रास्ते के मोड़ पर रुकीं,
उस मोड़ पर दौड़ती हैं बातें,
कभी शांत नहीं हैं बातें।
उम्मीदों की चुपड़ी हुई रोटी,
चावल से बनी खिचड़ी हैं बातें,
टोकरी पर चढ़ी धूल के कण,
हवा का शोर हैं बातें,
रुई की गरमाहट, तकिये का आराम,
सरपट दौड़ती गाड़ी, बिना टायर की साईकिल,
मस्त हाथी की चिंघाड़ हैं बातें।
खिलते फूल की खुशबू जो महक रही है,
गुंजन जो हो रही है,
रंग जो बह रहे हैं,
सब की तरह चहकती हैं बातें।
बचपन की यादें समेटे,
पड़ोसन की चुगली हैं बातें,
पेड़ की डाल की लचक हैं बातें,
मोम की मुलायम परत हैं बातें,
सूखे पत्ते की खड़खड़ाहट हैं बातें,
गूंगे की फरमाईश का मर्म हैं बातें।
कल का सपना,
आज का सवेरा,
बादलों का अंधेरा,
पक्षियों का बसेरा,
सब कुछ हैं बातें।
कवि की कल्पना का सूखा समुद्र,
यम की गली का चैराहा,
टेसू के फूल का सौंदर्य हैं बातें,
गधे की दुलत्ती भी हैं बातें,
नीम की छाल की तरह,
निंबोरी सी लाभदायक,
आंवले सी खट्टी,
शहद सी मीठी,
त्रिफले सी कड़वी हैं बातें।
निराली हैं,
चालाकों की चालाकी का औजार,
नेताओं की कुर्सी का मोह, और
स्वार्थ से परिपूर्ण हैं बातें,
चिडि़यों का शोर थमने के बाद
सांप की सरसराहट हैं बातें,
कलम की स्याही से लिखी इबारत,
पन्नों के मोड़, अक्षरों की वनावट की तरह हैं बातें।
बीमार भी करती हैं बातें,
ताजगी की तरह हैं बातें,
खुली की दहाड़ सी भी,
मच्छर की झूं-झूं सी भी,
पर्वत की ऊंचाई,
खाई की गहराई,
समेटे हुये हैं बातें।
पानी को रोकती चट्टानों सी चिकनी,
रेत की परत सी खुरदरी हैं बातें,
नेत्रों की खुली पलकों सी,
हिलतें ओठों सी,
फड़फड़ाती हैं बातें,
कुछ भी नहीं, लेकिन
बहुत कुछ कहती हैं बातें।
-by harminder singh
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